Ad

bans ki kheti

बांस की खेती लगे एक बार : मुनाफा कमायें बारम्बार

बांस की खेती लगे एक बार : मुनाफा कमायें बारम्बार

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बांस (बाँस, Baans, Bamboo) की खेती बड़े पैमाने पर की जाने लगी है. यह एक ऐसी खेती है, जिसे एक बार लगाने के बाद किसान सालों साल लाभ कमा सकते हैं. किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार ने भी बांस की खेती (Bans ki kheti) को प्रोत्साहित करने की कई योजनाएं बनाई है. भारत सरकार ने देश में बांस की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए २००६ में राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) शुरू किया था.

मेड़ पर बांस के पौधे लगाएं

किसान के पास खेती के लिए जगह की कमी हो तब भी बांस लगा सकते हैं. उन्हें मुख्य फसल के मेड़ पर भी लगाया जा सकता है. खेत के किनारे किनारे बांस का फसल लगाने से कई लाभ भी है. एक तो इससे मुख्य फसल को कोई नुकसान नहीं होता, वहीं खेत की आवारा पशुओं से सुरक्षा भी होती है. इसके साथ ही किसानों को अधिक मुनाफा भी प्राप्त होता है.

बांस की उपयोगिता

बांस की लकड़ियों के प्रोडक्ट बनाने वाले समूह और कंपनियां, बांस खरीदने के लिए किसानों को अच्छी खासी रकम देती है, क्यूंकि बांस की उपयोगिता कई क्षेत्रों में है. बांस से बल्ली, टोकरी, चटाई, फर्नीचर, खिलौना और सजावट के सामान तैयार किए जाते हैं. कागज बनाने में भी बड़ी मात्रा में बांस का उपयोग होता है. सहफसली तकनीक (Multiple cropping) से भी बांस की खेती कर सकते हैं. बाँस के पौधे बहुत तेजी से बढ़ते हैं, ३ से ४ साल के अंदर बांस पूरी तरह तैयार हो जाता है. तैयार बांस की कटाई कर इसे बाजार में बेचा जा सकता है. यहां बता दें कि सहफसली खेती के लिए बांस सबसे उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि बांस के हर पौधों के बीच जगह होती है. इन पेड़ों के बीच में अदरक, हल्दी, अलसी, लहसुन जैसे फसलों को लगाकर मुनाफा कमाया जा सकता है.


ये भी पढ़ें: अब सरकार बागवानी फसलों के लिए देगी 50% तक की सब्सिडी, जानिए संपूर्ण ब्यौरा

बांस की खेती किसानों को दे अच्छा मुनाफा

बांस को पंक्तियों में दूरी के अनुपात अनुसार, प्रति एकड़ बांस के १५० से २५० पौधे लगाए जा सकते हैं. चूँकि बाँस के पौधे तेजी से बढ़ते हैं, यहां तक की बाँस की कुछ प्रजातियाँ तो दिन में ३ फ़ीट से भी अधिक बढ़ती हैं, ३-४ साल बाद बांस की कटाई करने पर चार लाख तक का मुनाफा आसानी से कमाया जा सकता है. बाँस का पेड़ आमतौर पर ७-१० साल तक और कुछ प्रजातियां १५ साल तक जिंदा रहती हैं. चूँकि, कटाई के बाद भी बांस के जड़ फैलाव से नयी परोह उत्पन्न हो जाती है, वह भी बिना किसी रोपण के, तो ऐसे में एक बार बांस की फसल लगाकर किसान सालों साल तक इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं.

बांस की खेती के लिए सरकारी अनुदान और सहायता

राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) के तहत अगर बांस की खेती (bans ki kheti) में ज्यादा खर्चा हो रहा है, तो केंद्र और राज्य सरकार किसानों को आर्थिक राहत प्रदान करेंगी। बांस की खेती के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि की बात करें तो इसमें ५० प्रतिशत खर्च किसानों द्वारा और ५० प्रतिशत लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी।

ये भी पढ़ें: इस तकनीकी से खेती करने वाले किसानों को हरियाणा सरकार देगी 90% सब्सिडी

 

बांस की खेती में ध्यान रखने योग्य बातें किसानों के लिए बांस की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। लेकिन बांस की खेती में धैर्य रखना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि बांस की खेती रबी, खरीफ या जायद सीजन की खेती नहीं होती। इसको फलने-फूलने के लिए लगभग ३-४ साल का समय लग जाता है। हालांकि पहली फसल के कटते ही किसान को अच्छी आमदनी मिल जाती हैं। किसान चाहें तो बांस की खेती के साथ कोई दूसरी फसल भी लगा सकते हैं। बांस की खेती के साथ दूसरी फसलों की एकीकृत खेती करने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहेगी, साथ ही, दूसरी फसलों से किसानों को समय पर अतिरिक्त आय भी मिल जाएगी।

बांस की उन्नत किस्मे

बांस की खेती करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि बांस की उन्नत किस्मों का चुनाव किया जाए. भारत में बांस की कुल 136 किस्में पाई जाती है। जिसमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय प्रजातियां बम्बूसा ऑरनदिनेसी, बम्बूसा पॉलीमोरफा, किमोनोबेम्बूसा फलकेटा, डेंड्रोकैलेमस स्ट्रीक्स, डेंड्रोकैलेमस हैमिलटन, मेलोकाना बेक्किफेरा, ऑकलेन्ड्रा ट्रावनकोरिका, ऑक्सीटिनेनथेरा एबीसिनिका, फाइलोंस्तेकिस बेम्बूसांइडिस, थाइरसोस्टेकिस ऑलीवेरी आदि है। इनकी खेती भारत के अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा एवं पश्चिम बंगाल के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, जम्मू कश्मीर, अंडमान निकोबार द्वीप समूह आदि राज्यों में की जा रही है।  

जानिये खेत में कैसे और कहां लगाएं बांस ताकि हो भरपूर कमाई

जानिये खेत में कैसे और कहां लगाएं बांस ताकि हो भरपूर कमाई

अधरों से मधुर धुन छेड़ने (बांसुरी), पहनने, बैठने से लेकर जीवन की अंतिम यात्रा तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले साधारण से बांस को उगाकर किसान मित्र तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं। हम बात कर रहे हैं बैंबू कल्टीवेशन (Bamboo Cultivation), यानी बांस की पैदावार की। जी हां, वही बांस जो मकान को आधार देने, सीढ़ी, टोकरी, चटाई, हैट, फर्नीचर, खिलौने बनाने से लेकर मृत्युशय्या तक के सफर में भारत में खास महत्व रखता है। लिखा-पढ़ी के लिए जरूरी कागज बनाने में भी बांस की उपयोगिता कमतर नहीं है। ऐसे में बांस से उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के बीच बांस की खासी डिमांड है, जो किसान को बांस के बदले अच्छी-खासी कीमत भी देती हैं। बैंबू फार्मिंग टिप्स (Bamboo Farming Tips) की अगर बात करें, तो आपको जानकर अचरज होगा कि बांस के पेड़ 40 साल तक आय का जरिया प्रदान करते हैं। ऐसे में भारत के ग्रामीण अंचल में बांस की पैदावार विशाल पैमाने पर की जाती है।

एक बार लगाओ खुद जान जाओ -

बांस की फार्मिंग (Bamboo Farming) किसान के लिए एक ऐसा विकल्प है जिसमें एक बार की लागत पर किसान 30 से 40 सालों तक तगड़ी कमाई कर सकते हैं। जीवन-मरण के साथ ही शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में अनिवार्य, बांस को लगाकर किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं। भारत की सरकार भी बांस लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करती है। किसानों की आय बढ़ाने प्रोत्साहन के तहत भारत सरकार ने देश में बांस की खेती (Bamboo Farming) के लिए साल 2006-2007 में  राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) शुरू किया है। इस मिशन के अंतर्गत बैंबू फार्मिंग (Bamboo Farming) हेतु आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है।

कहां लगाएं बांस :

ऐसे किसान जिनके खेत में जगह कम है, तो वे किसान मित्र खेत की मेढ़ पर बांस के पौधे लगा सकते हैं। खेत की मेढ़ पर बांस लगाने से न केवल अन्य फसलों की सुरक्षा होती है, बल्कि भूमि का क्षरण भी रुकता है। आवारा पशुओं से भी फसल की सुरक्षा संभव है। साथ ही मुनाफा भी तय है।

ये भी पढ़ें: रोका-छेका अभियान : आवारा पशुओं से फसलों को बचाने की पहल

बांस की उपयोगिता

आपने बांस से बने मकान, सीढ़ी, टोकरी, चटाई, फर्नीचर, खिलौनों के साथ ही साज-सज्जा की तमाम चीजें देखी होंगी। पेपर इंडस्ट्री में भी बांस (Bamboo) की अच्छी खासी मांग है। पेपर बनाने वाली कंपनियां और लकड़ी बेचने वाले टाल वाले व्यापारी, किसानों को बांस के बदले तगड़ी कीमत अदा करने तैयार रहते हैं।

कैसे लगाएं बांस ?

मुख्य तौर पर बांस को बीज के जरिये उगाया जा सकता है। कटिंग या राइज़ोम (प्रकंद)(Rhizome) तकनीक भी इसकी पैदावार के लिए अपनाई जाती है। बांस के पौधे आम तौर पर तीन से चार साल के ही भीतर पूरी तरह से परिपक़्व हो जाते हैं। जिसके बाद इसे बेचकर किसान मित्र अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। सहफसली खेती तकनीक में उपयोगी - सहकर्मी तकनीक से खेती करने में बांस की फसल (Bamboo Farming) सर्वाधिक उपयुक्त है। बांस की कतारों के मध्य अदरक, हल्दी, अलसी और लहसुन जैसी अल्प एवं मध्य कालीन फसलों को उगाकर भी अतिरिक्त मुनाफा कमाया जा सकता है।

30 से 40 लाख की आय

एक अनुमान के मुताबिक, सामान्य स्थितियों में किसान एक एकड़ जमीन पर बांस के डेढ़ सौै से ढ़ाई सौै पौधे लगा सकता है। तीन से चार साल में परिपक़्व होने वाले बांसों से किसान आराम से 40 लाख तक की आमदनी कर सकते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को जीवंत रखने में सक्षम बांस लगभग 40 सालों तक स्वयं को कायम रख सकता है। ऐसे में किसान बांसों की व्यवस्थित कटिंग के जरिये लगभग 40 सालों तक आवश्यक कमाई कर सकते हैं।
हरा सोना उगाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार दे रही है 50% सब्सिडी

हरा सोना उगाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार दे रही है 50% सब्सिडी

आजकल बांस का इस्तेमाल फर्नीचर, चटाइयां, टोकरियां, बर्तन, सजावटी सामान, जाल, मकान और खिलौने जैसे तमाम प्रोडक्ट बनाने में किया जा रहा है। बांस एक कमर्शियल क्रॉप है और इसे प्लास्टिक की जगह आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। यही कारण है कि इसे इको फ्रैंडली माना गया है। भारत के साथ-साथ बाकी देशों में भी बांस से बने हुए प्रोडक्ट की बहुत ज्यादा मांग बढ़ रही है। इसी डिमांड को देखते हुए बहुत से राज्यों में बांस आधारित छोटे छोटे और बड़े उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं और सरकार द्वारा बांस की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। केंद्र सरकार की बात करें तो उनके द्वारा भी नेशनल बैंबू मिशन चलाया गया है। इसी कदम की और एक नई पहल छत्तीसगढ़ सरकार ने भी की है और यह सरकार बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए 50% तक सब्सिडी दे रही है। अगर आप भी छत्तीसगढ़ के किसान हैं तो आप सिर्फ आधे खर्चे में बांस की खेती कर सकते हैं और बाकी आधा खर्चा पूरी तरह से सरकार द्वारा उठाया जाएगा।

बांस की खेती के लिए सब्सिडी

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना चलाई जा रही है, जिसके तहत राज्य में बांस की खेती का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। अगर कोई भी किसान इस स्कीम के तहत आवेदन देता है तो उसे सरकार की तरफ से 50% तक सब्सिडी दी जाएगी। शर्त यह है, कि आपको टिशू कल्चर से बांस की खेती करनी होगी, जिसमें उद्यानिकी, वन विभाग और कृषि विभाग मिलकर किसानों की मदद करेंगे। टिशू कल्चर से बांस की खेती करने वाले किसानों को इस योजना के तहत पैसा तीन किस्तों में दिया जाएगा। पहले साल में पहली किस्त 11,500 रुपये की, दूसरे साल में 7,000 रुपये और तीसरे साल में भी 7,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है। इस तरह एक एकड़ खेती की इकाई लागत पर 50 प्रतिशत सब्सिडी की दर से अनुमानित 25,500 रुपये का अनुदान किसानों को मिल जाता है। किसान चाहें तो मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना का लाभ लेकर अधिकतम 5 एकड़ जमीन पर बांस की खेती कर सकते हैं।

फसल के लिए पौधा खरीदने और बेचने का क्या है प्रबंध?

बांस की फसल को लेकर किसान ज्यादा जागरुक नहीं है। यह नकदी फसल है, जिसमें खर्चा ज्यादा आता है और आपको मुनाफा लंबे समय बाद मिलना शुरू होता है। यही कारण है, कि बहुत से किसान इस फसल का उत्पादन करने से कतराते हैं। साथ ही, किसानों को यह जानकारी भी नहीं होती है कि आप अच्छी किस्म का बांस का पौधा कहां से खरीद सकते हैं। एक बार आप की उपज तैयार होने पर किस बाजार में जाकर आप उसको कहाँ बेच सकते हैं।
ये भी देखें: Sagwan: एक एकड़ में मात्र इतने पौधे लगाकर सागवान की खेती से करोड़ पक्के !
अगर आपके मन में भी इन्हीं सभी समस्याओं को लेकर चिंता है। तो आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना के तहत किसानों को बांस की खेती के लिए एकदम निशुल्क पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे। जिसकी रोपाई, सिंचाई और फेंसिंग अपने खर्च पर करनी होगी। बांस की रोपाई के 3 साल बाद अनुदान की राशि जीवित पौधों के हिसाब से कैल्कुलेट करके किसान को दे दी जाएगी। इसके अलावा, खेती से जुड़े बाकी कामों में उद्यानिकी, वन विभाग और कृषि विभाग भी किसानों का सहयोग करेंगे।

कैसे कर सकते हैं आवेदन

छत्तीसगढ़ वन विभाग के ऑफिशल पोर्टल पर जाकर आप इसके लिए आवेदन दे सकते हैं। http://www.cgforest.com/ अगर आप इस खेती के लिए सब्सिडी का लाभ उठाना चाहते हैं। तो वन विभाग के कार्यालय में जाकर आपको एक आवेदन फॉर्म जमा करना होगा। जिसमें आपको अपनी, आधार, कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक की कॉपी, खेत का खसरा-खतौनी, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर जैसी डिटेल्स देना अनिवार्य है।
बांस की खेती करके कमाएं बम्पर मुनाफा, 40 साल तक मिलती है फसल

बांस की खेती करके कमाएं बम्पर मुनाफा, 40 साल तक मिलती है फसल

भारत एक ऐसा देश है जहां पर ज्यादातर लोगों की आजीविका कृषि पर निर्भर है। इसलिए देश भर में बड़े स्तर पर खेती की जाती है। ज्यादातर लोग परंपरागत खेती करते हैं, जिससे किसानों को कोई खास लाभ नहीं होता। इसलिए सरकार समय-समय पर किसानों को बागवानी खेती के लिए प्रोत्साहित करती रहती है। ताकि किसानों को इस खेती बाड़ी के काम में पर्याप्त लाभ हो सके। पिछले कुछ सालों से सरकार ने देश के किसानों को बांस की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है। बांस के गुणों को देखते हुए सरकार ने इसे हरा सोना कहा है। इसकी खेती के लिए कई राज्य सरकारें अपने स्तर पर सब्सिडी प्रदान करती हैं। इसके बावजूद देश में बांस की खेती करने वाले किसानों की तादाद बेहद कम है, जबकि देश के बाजार में इसकी जबरदस्त डिमांड है। बांस का उपयोग कई तरह के कामों में किया जाता है। इसका उपयोग खेती-किसानी और कंस्ट्रक्शन के काम में किया जाता है। इसके अलावा बांस से हैंडीक्राफ्ट के आइटम्स बनाए जाते हैं। भारत के बाजार में बांस से बने हुए खिलौनों, चटाइयां, फर्नीचर, सजावटी सामान, टोकरियां, बरतन और पानी की बोतल की मांग हमेशा रहती है। इसके अलावा परंपरगत घरों को बनाने में भी बांस का उपयोग किया जाता है। इनके अलावा कई प्रकार की चीजों को बनाने में बांस का उपयोग किया जाता है। इस हिसाब से बांस की भारत में जबरदस्त मांग रहती है। जिसकी पूर्ति किसान भाई कर सकते हैं और बांस की खेती से ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकते हैं।

ये भी पढ़ें:
जानिये खेत में कैसे और कहां लगाएं बांस ताकि हो भरपूर कमाई
बांस की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन इसे रेतीली मिट्टी में उगाना संभव नहीं है। यह बेहद कम मेहनत वाली खेती होती है। इसमें किसान भाइयों को खेत तैयार करके अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी होती है। बांस का पौधा लगाने के लिए 2 फीट व्यास का गड्ढा तैयार करना होता है। उस गड्ढे में किसान भाई आसानी से बांस लगा सकते हैं। बांस लगाने के पहले गड्ढे में गोबर की खाद डाल सकते हैं। यह बांस के विकास के लिए सहायक होगी। बांस रोपाई करने के तीन साल बाद तैयार हो जाता है। जिसके बाद बांस की कटाई की जा सकती है। एक हेक्टेयर में बांस के 1500 पौधे तक लगाए जा सकते हैं। बांस एक ऐसी फसल है जिसे एक बार लगाने के बाद अगले 40 साल तक इसकी कटाई की जा सकती है। इस खेती में लागत न के बराबर आती है और मेहनत भी ज्यादा नहीं करनी पड़ती। इसकी खेती ठंडी जलवायु में करना संभव नहीं है। इसके लिए उष्ण जलवायु अच्छी मानी गई है। इसके लिए गर्मी के साथ बरसात ज्यादा लाभकारी होती है। ऐसे वातावरण में बांस तेजी से विकास करता है। इसलिए भारत में बांस की सबसे ज्यादा खेती पूर्वोत्तर राज्यों में की जाती है। किसान भाई एक हेक्टेयर खेत में बांस लगाकर हर साल 3 लाख रुपये तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं। इस हिसाब से किसान भाई कम मेहनत और कम लागत में बांस की खेती से अच्छे खासी कमाई कर सकते हैं।
बांस की खेती से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी

बांस की खेती से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी

दुनिया में आए दिन कोई न कोई खास दिन मनाया जाता है। ऐसी स्थिति में 18 सितंबर को संपूर्ण विश्व में बांस दिवस मनाया जाएगा। अध्यात्मिक, मांगलिक, साहित्यिक और जिविकोपार्जन के लिए बांस का काफी बड़ा महत्व है। बांस को गरीबों की लकड़ी अथवा गरीबों का हरा सोना भी कहा जाता है। आज पूरे भारत में बांस से निर्मित बस्तुओँ की उपयोगिता व्यापार के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। बांस से संबंधित फायदों एवं इसके प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए संपूर्ण विश्व में 18 सितंबर को वर्ल्ड बैंबू डे अथवा विश्व बांस दिवस मनाया जाता है। बांस केवल जीविकोपार्जन के लिए ही नहीं बल्कि पर्यावारण के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। यह ग्लोबल वार्मिंग को काफी कम करता है। साथ ही, सूर्य के बढ़ते ताप को कम कर अच्छी बारिश करवाने में भी सहायता करता है। किसानों को यह तो मालूम है, ही कि बांस का इस्तेमाल कागज निर्मित करने में भी किया जाता है।

ये भी पढ़ें:
बांस की खेती करके कमाएं बम्पर मुनाफा, 40 साल तक मिलती है फसल

बांस के पेड़ का महत्व

बांस का इस्तेमाल तो मध्य प्राषाण काल से ही होता आ रहा है। पतले पत्थरों के औजार में बांस के बेंत का इस्तेमाल होता था। साथ ही, तीर-कमान भी ज्यादातर बांस से ही निर्मित हुआ करते थे। धीरे-धीरे जैसे वक्त बदला बांस की उपयोगिता भी बढ़ती गई। आवश्यकता के अनुसार बांस से निर्मित वस्तुओं की रुपरेखा बदलती गई। संगीत के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्र बांस से ही बने। साथ ही साथ बहुत सारे मांगलिक अवसरों पर बांस का इस्तेमाल हजारों वर्ष पूर्व से होता आ रहा है। बहुत सारे तीज-त्योहारों में भी बांस की समाग्रियों का होना बेहद जरूरी है। परंपरा के मुताबिक, बांस की कोपलों से लेकर हरे एवं सूखे बांस की स्वयं की मान्यता है।

ये भी पढ़ें:
बांस की खेती लगे एक बार : मुनाफा कमायें बारम्बार

बांस के अंदर विघमान औषधीय गुण

  • बांस की कोपलें पाचन तंत्र को सशक्त बनाने में काफी सहायता करती हैं।
  • बांस की कोपला का नियमित तौर पर सेवन करने से हड्डियां सशक्त होती हैं।
  • बांस का पेड़ पर्यावरण के संरक्षण में जितनी सहायता करता है, उससे बहुत गुना अधिक मनुष्य और अन्य जीवों की बहुत सारी बीमारियों के उपचार में भी सहायता करता है। बांस की टहनियों में अमीनो एसिड, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर एवं विभिन्न मिनरल्स व विटामिन पाए जाते हैं।
  • विटामिन व मिनल्स भरपूर होने की वजह से इसकी पतली टहनियों का नियमित सेवन करने से इम्यून सिस्टम बेहद मजबूत होता है। जो कि विभिन्न प्रकार के संक्रमण रोगों से लड़ने में सहायता करता है। बांस की खेती करना काफी मुनाफे का सौदा है।